
महाविद्यालय अपनी उत्कृष्ट परंपरा का निर्वाह करते हुए, ऐसे संस्थान के रूप में विकसित हो जहाँ महान राष्ट्र की विविधता परिलक्षित हो। जाति, सम्प्रदाय, धर्म, भाषा, और लिंग जैसी विविधता को संरक्षा और सुरक्षा प्राप्त हो तभी उदारवादी, धर्मनिरपेक्षतावादी और आधुनिक विश्वदृष्टि से संपन्न छात्र/छात्राओं का निर्माण हो सकेगा। युवा युग पुरुष 'स्वामी विवेकानंद' का यह प्रेरक उद्घोष चिरस्मरणीय रहे- "उठो,जागो, तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए ।" शुभकामनाओं सहित .......

श्री ओम प्रकाश पाण्डेय
(प्रबन्धक)